मनुष्य जन्म का मुल उद्देश्य

पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी ने कहा है कि मनुष्य जन्म बहुत अनमोल है इसे शास्त्र विरुद्ध साधना करके व्यर्थ नहीं करना चाहिए, क्योंकि मनुष्य जन्म बार-बार नहीं मिलता।

84 लाख योनियों को भुगतने के बाद एक बार मानव जीवन प्राप्त होता है, अगर यह कीमती जीवन गाने सुनने, फिल्में देखने, मनोरंजन करने में व्यतीत होता है, तो यह मानव जीवन ऐसे ही नष्ट हो जाएगा।
इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने बड़े पद पर हैं, अगर आप शास्त्रानुकूल साधना नहीं करते हैं, तो आपको 84 लाख योनियां, नरक और स्वर्ग के चक्र भोगने पड़ेंगे, और जन्म-मरण के चक्र से भी नही छूट सकते।

इसलिए परमात्मा बताते हैं कि हमें वेदों और शास्त्रों के अनुसार भक्ति करनी चाहिए, जिससे मोक्ष तथा सांसारिक सुख-सुविधाएं प्राप्त होगी।
कबीर साहेब कहते हैं कि
✨"मानुष जनम पाये कर, जो नहीं रटै हरि नाम।
जैसे कुआ जल बिना, फिर बनवाया किस काम।।"✨

मनुष्य जीवन का मुख्य उद्देश्य ही भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना हैं।
वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज ही वो तत्वदर्शी संत है जो हमारे शास्त्रों के अनुसार सतभक्ति बताते है। इसलिए तत्त्वदर्शी संत द्वारा तत्त्वज्ञान को समझें और मानव जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए उससे दीक्षा लें और मोक्ष प्राप्त करें।

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