जन्मदिवस vs प्रकट दिवस
🤔क्या आपने सोचा है सभी देवों का जन्म दिवस तो आखिर कबीर जी का प्रकट दिवस क्यों...❓
क्योंकि जयंती तो उसकी मनाई जाती है जिसकी जन्म- मृत्यु होती है, लेकिन "कबीर साहेब" अविनाशी भगवान हैं, जिनकी कभी भी जन्म-मृत्यु नहीं होती।
पूर्ण परमात्मा कबीर जी के अलावा सभी देव जन्म-मृत्यु में हैं और प्रकट दिवस सिर्फ अविनाशी परमात्मा का ही मनाया जाता है क्योंकि वह जन्म नहीं लेते बल्कि हर युग में कमल के फूल पर प्रकट होते हैं।
चारों युगों में सिर्फ कबीर परमात्मा के प्रकट होने के ही प्रमाण हैं।
सतयुग में सतसुकृत, त्रेतायुग में मुनीन्द्र, द्वापरयुग में करुणामय और कलियुग में कबीर नाम से प्रकट होते हैं।
बाकी सभी देव मां के गर्भ से जन्म लेते हैं।
5 जून 2020 को कबीर प्रकट दिवस मनाया जाएगा क्योंकि इस दिन विक्रमी सवंत 1455 (सन् 1398) ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को सुबह ब्रह्ममुहूर्त में पूर्ण परमेश्वर कबीर (कविर्देव) जी स्वयं अपने मूल स्थान सतलोक से आए और काशी में लहरतारा तालाब के अंदर कमल के फूल पर एक बालक का रूप धारण करके प्रकट हुवे।
परमात्मा हर युग मे ऐसी ही लीला करते हैं। वे तीसरे मुक्ति धाम सतलोक से आकर कमल के फूल पर शिशु रूप धारण करके प्रकट होते हैं और अपने यथार्थ तत्वज्ञान का प्रचार करते हैं।
जिस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्रविधि त्याग कर मनमाना आचरण कर रहे होते है, उस समय पूर्ण परमात्मा स्वयं ही प्रकट होकर अपने तत्वज्ञान का प्रचार करते हैं।
कलयुग के 5505 वर्ष बीत जाने पर कबीर परमेश्वर वही यथार्थ तत्वज्ञान लेकर फिर से जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में आये हुए हैं, जो सभी धर्मों के शास्त्रो से प्रमाणित तत्वज्ञान देते हैं।
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